Sunday, September 20, 2020

मोगरा : जो घर महका दे।

मोगरा एक प्रकार का पौधा है जिसके फूल छोटे छोटे सफेद रंग के साथ बहुत हीं खुशबूदार होते है । इसका वानस्पतिक नाम  “Jasminum sambac” है ।  मोगरा का फूल फिलिपिंस  देश का राष्ट्रीय पुष्प कहलाता है । संस्कृत भाषा में इस फूल को “मालती” और “मल्लिका” कहते हैं। इसकी खेती इसकी आकर्षक और मीठी सुगंधित फूलों के लिए व्यापक रूप से की जाती है।

मोंगर फूल के प्रजातियाँ / Varieties

मोंगरा फूल की 4 प्रजातियाँ पाई जाती है :-

बेला,
मोआत,
मदनमान,
पालमपुर


उचाई / Height

मोगरा का पौधा एक छोटा झाड़ी वाला पौधा होता है जो की ऊंचाई में 0.5 से 3 मीटर यानि की 1.6 से लेकर 9.8 फीट तक बढ़ता है।


मोगरा पौधे के पत्ते / Leaves

इसके पत्ते गोल शाखा पर एक ही जगह 3 से 4 उगते हैं । इसके के पत्ते या तो सदाबहार होते हैं या पर्णपाती। इसका तात्पर्य यह है कि या तो पत्तियां सदाबहार रहेंगी या परिपक्वता से गिर जाएंगी। इसके पत्तो के सांचों को मिट्टी में मिलाने से पौधे का विकास और भी बेहतर हो जाता है।

अनुकूल तापमान / Temperature

यह गर्म तापमान के लिए मध्यवर्ती में बढ़ता है। यदि रात का तापमान 0 डिग्री celsius  से कम हो जाए तो पौधे को बाहर से घर के अंदर ले आना बेहतर माना गया है ।

मोगरा पौधे का रोपण कैसे करे / Planting

मोगरा के सुगंधित फूल को 9 महीने तक प्राप्त करने के लिए इसके पौधे को किसी कंटेनर में या घर के बाहर जमीन में भी लगाया जा सकता है ।
इसके पौधे को कम से कम 14 इंच या उससे अधिक आकार का पॉट में लगाना सही रहेगा।
मोगरा के पौधे के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे सही रहता है ।
इसके पौधे को जून से नवंबर के दौरान लगाया जाना उचित माना गया है ।
यदि पौधे को ज़मीन पर लगाया जा रहा है तो पौधे से पौधे की दूरी लगभग 10cm की होनी चाहिए।
पौधे को रोपने समय इस बात का ख्याल रहे की इसके पौधे को मिट्टी के अंदर लगभग छह इंच गहरा रोपा गया हो ।
इसके पौधे को आंशिक छाया के साथ एक गर्म स्थान पर जहाँ सूर्य की रौशनी आती हो वहां लगाना उचित रहता है ।

पौधे की देखभाल / Take Care

इसके पौधे को नवंबर महीने के बाद पानी देना बंद कर देना चाहिए ।
फरवरी महीने के पहले इसके पौधे की लंबाई के आधे से छंटाई कर देना सही रहेगा ।
इसी समय पौधों की चट्टानों पर मिट्टी चढ़ाते है व गोबर की खाद 10-15 किग्रा की ओर झाड़ी की दर से देते हैं। वसंत के दौरान हल्के उर्वरक का भी दिया जाना चाहिए।
गर्मी के दिनों में भरपूर पानी दिया जाना चाहिए।
इस पौधों को दिन में कम से कम चार घंटे तक पूरी धूप प्रदान की जानी चाहिए।
कलियां आने के बाद हफ्ते भर के अंतराल पर फसलों की सिंचाई की जानी चाहिए ।


मोगरा फूल का उपयोग / Uses


मोगरा के सुगन्धित फूलो का उपयोग माला या फिर गजरे को बनाने के लिए भी किया जाता जिसे दिल्ली , बीकानेर , जयपुर के अलावा आदि कई शहरो में पसंद किया जाता है ।
इसके अलावा इस सुंगंधित फूल का इस्तेमाल इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है ।
इसके फूलों को का इस्तेमाल देवी देवताओं की पूजा में भी किया जाता है ।

कुछ ख़ास बातें / Interesting Facts

मोगरा का लैटिन शब्द में जेसमिन संस्कृतमें ‘मालती’ और हिंदी में चमेली का फूल भी कहा जाता है | यह बेहद सुगन्धित पुष्प होती है |

मोगरा का पोधा सामान्यता लगभग 4 से 9 इंच और फैलाव 6 से 11 इंच तक होती है यह एक सदाबहार बेल झाड़ीनुमा पौधा होती है |

विशेषकर यह दक्षिण पूर्व एशिया, भूटान के हिमालय के पास , पाकिस्तान, भारत और कई अन्य देशो में भी पाई जाती है |

मोगरा फूलों इत्र बनाने और चाय बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसे अंग्रेजी में अरेबियन चमेली के नाम से भी जाना जाता है।

फिलीपींस देश का राष्ट्रीय फूल है, जिसे सम्पागिता के नाम से भी जाना जाता है।

मोगरा का फूल मुखुयता आकर्षक सफेद रंग का होता है | वर्ष भर इसके पुष्प खिलते है और शाखाओं के सिरों पर एक साथ से 3 से 11 के समूहों में लगते है |

पतियों का आकार 4 से 11.5 सेमी लंबी और 2 से 6.5 सेमी तक चौड़ी होती हैं।इसकी पतिया चिकनी और चमकदार होती हैं।

मोगरा का उपयोग अगरबत्ती और इत्र बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत में महिलाये गजरे बनाने में किया करती है |

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